वैशाख मास के कृ्ष्ण पक्ष की एकादशी वरुथिनी एकादशी कहलाती हैं। इस वर्ष वरुथिनी एकादशी 24 अप्रैल, 2025, गुरुवार को है | इस वर्त के करने से मनुष्य को सुख तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
यह व्रत सौभाग्य देनेवाला है। इस व्रत के दिन दान करने से कन्यादान एवं हजारों वर्षों के तपस्या के समान फल की प्राप्ति होती है। इसके करने से सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। मनुष्य इस लोक के सभी सुख भोग कर स्वर्गलोक को प्राप्त होता है। घोड़े के दान से, हाथी का दान श्रेष्ठ है। भूमिदान उससे भी बड़ा है। भूमिदान से भी अधिक महत्व तिलदान का है। तिलदान से बढ़कर स्वर्णदान और स्वर्णदान से बढ़कर अन्नदान है, क्योंकि देवता, पितर तथा मनुष्यों को अन्न से ही तृप्ति होती है। विद्वान पुरुषों ने कन्यादान को भी अन्नदान के समान बताया है। कन्यादान के तुल्य ही धेनु का दान है। ऊपर बताये हुए सब दानों से बड़ा विद्यादान है । मनुष्य ‘वरुथिनी’ एकादशी व्रत करके विद्यादान का भी फल प्राप्त कर लेता है ।